है पिंजड़े में बंद एक सपना, और कुछ आंसू |
और कुछ सिसकियाँ बिखरे इधर उधर |
पर वो सपना अधूरा नहीं है, कुछ पन्ने कम हैं, पर उम्मीद पूरी है |
थोड़ी उम्मीद, थोड़े सपने, बस यही कुछ गहने |
और थोडा दर, थोड़ी सी हिम्मत |
पर आँख में वही दर्द का अंजन, बोली में बहती रहती |
बनके आह, बनके जीवन, हाथों में हाथों से खेलती रहती |
मुस्कुराते रहते, खिलखिलाते रहते, गिरते रहते, रोते रहते |
पर जीते रहते, थक के हार के, जीते रहते ||
और कुछ सिसकियाँ बिखरे इधर उधर |
पर वो सपना अधूरा नहीं है, कुछ पन्ने कम हैं, पर उम्मीद पूरी है |
थोड़ी उम्मीद, थोड़े सपने, बस यही कुछ गहने |
और थोडा दर, थोड़ी सी हिम्मत |
पर आँख में वही दर्द का अंजन, बोली में बहती रहती |
बनके आह, बनके जीवन, हाथों में हाथों से खेलती रहती |
मुस्कुराते रहते, खिलखिलाते रहते, गिरते रहते, रोते रहते |
पर जीते रहते, थक के हार के, जीते रहते ||
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