Poetic Injustice --- The myriad me, in myriad ways,
and myriad words, in myriad lays.
To stay, to sway, to the new glory,
to my past allay....
Tuesday, March 17, 2009
मोहब्बत के दो पल
चलो उन वादियों में जहाँ सिर्फ़ हो प्यार और कुछ देवदार और धुंद और पंछी जो दिल बेहेलायें हलकी सी बारिश हो भीगे तेरा चेहरा छु लूँ उसे मै अपनी उँगलियों से बहेते अश्क घुल जाएँ उसमे बस जो बचे वो हो तेरी और मेरी चाहत
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