Tuesday, March 17, 2009

मोहब्बत के दो पल

चलो उन वादियों में जहाँ सिर्फ़ हो प्यार और कुछ देवदार और धुंद और पंछी जो दिल बेहेलायें
हलकी सी बारिश हो
भीगे तेरा चेहरा
छु लूँ उसे मै
अपनी उँगलियों से
बहेते अश्क घुल जाएँ उसमे
बस जो बचे वो हो तेरी और मेरी चाहत

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